Priyanka06

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लेखनी प्रतियोगिता -11-Jun-2022 दो सखी की वार्ता (तर्क कविता)

रचयिता-प्रियंका भूतड़ा

शीर्षक-दो सखी की वार्ता (तर्क कविता)

आज बनी है तू दुल्हन,
आज बनी हूं मैं भी दुल्हन।

हे सखी! फर्क बस इतना

तू पिया की हो चली,
मैं पिया के घर से चली।

आज किये तूने सोलह श्रृंगार,
मैंने भी किये सोलह श्रृंगार।

हे सखी! फर्क बस इतना

तू पिया के लिए सजी,
मैं अंतिम यात्रा के लिए सजी।

तुझ पर भी हो रही फूलों की बौछार,
मुझ पर भी हो रही फूलों की बौछार।

हे सखी! फर्क बस इतना

तेरे स्वागत में किए हैं फूलों की बौछार,
मेरी अंतिम यात्रा मैं हो रही फूलों की बौछार।

तू भी हो रही विदा,
मैं भी हो रही हूं विदा।

हे सखी! फर्क बस इतना

तू घर से हो रही विदा,
मैं दुनिया से हो रही हूं विदा ।

तेरे लिए भी आंसू बहे,
मेरे लिए भी आंसू बहे।

हे सखी! फर्क बस इतना

तेरी खुशी के लिए आंसू बहे,
मुझे याद करके आंसू बहे।

तेरी भी डोली उठी,
मेरी भी डोली उठी।

हे सखी! फर्क बस इतना

तू पिया के रास्ते चली,
मैं शमशान के रास्ते चली।

तुझे भी चार आदमी उठाएं,
मुझे भी चार आदमी उठाएं।

हे सखी! फर्क बस इतना

तुझे पिया के घर है जाना,
मुझे भगवान के पास है जाना।

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10 Comments

Punam verma

12-Jun-2022 08:39 AM

Very nice mam

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Abhinav ji

12-Jun-2022 07:51 AM

बहुत ही सुंदर और भावुक रचना

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Swati chourasia

12-Jun-2022 07:31 AM

बहुत खूब हृदयस्पर्शी रचना 👌

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